Sunday, July 20, 2025
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मिसाइल, ड्रोन, तोप और आग भी कुछ नहीं कर पाएगी, IIT बॉम्बे और CME पुणे ने बनाए खास हल्के मॉड्यूलर बंकर

पुणे : IIT बॉम्बे और पुणे के कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (CME) के शोधकर्ताओं ने ऐसे मॉड्यूलर बंकर विकसित किए हैं, जिन्हें लेगो ब्लॉक्स की तरह जोड़ा जा सकता है। ये बंकर इतने मजबूत हैं कि तोपखाने और मिसाइल हमलों को आसानी से झेल सकते हैं।

IIT शोधकर्ताओं का कहना है कि ये बंकर भारत की सीमाओं पर गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये सैनिकों को बिना किसी लॉजिस्टिक चुनौती के बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इन्हें बनाने के लिए न तो क्रेन की जरूरत है, न ही कंक्रीट मिक्सर की; बस जवानों की एक टीम चाहिए जिनके पास सही लक्ष्य साधने और ब्लॉक्स को जमाने का कौशल हो।

9 साल की मेहनत का नतीजा

नौ साल की मेहनत के बाद तैयार हुआ यह इनोवेशन पारंपरिक ‘परमानेंट डिफेंस’ (PD) शेल्टरों से एक बड़ी छलांग है, जो वर्तमान में दुश्मन की सीमा के पास बनाए जाते हैं। रेत की बोरियों, पत्थरों और स्टील शीट से बने पारंपरिक बंकर अक्सर आज के आधुनिक खतरों, जैसे सटीक-निर्देशित हथियारों और उच्च-विस्फोटक तोपखाने के सामने कमजोर पड़ जाते हैं।

अल्ट्रा-हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट

इस नई प्रणाली में पहले से तैयार अल्ट्रा-हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट के ब्लॉक और घुमावदार छत के पैनल इस्तेमाल होते हैं। हर एक ब्लॉक का वजन 20 किलो से भी कम है, जिन्हें हाथ से उठाकर बिना किसी विशेषज्ञ की मदद के दुर्गम इलाकों में भी आसानी से जोड़ा जा सकता है।

LoC पर लेगो की तकनीक

IIT बॉम्बे के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर मनीष कुमार, जिन्होंने इस शोध का नेतृत्व किया। उनका कहना है कि घुमावदार छतें समान मोटाई की सपाट छतों की तुलना में पांच गुना अधिक मजबूत होती हैं। ये न केवल हमले के प्रभाव को बेहतर ढंग से सोखती हैं, बल्कि हवाई हमलों को भी भटका देती हैं। ये हाई-परफॉर्मेंस मॉड्यूलर बंकर सैन्य कर्मियों और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी और ऑपरेशनल क्षमता को भी बेहतर बनाते हैं। यह हाल में ड्रोन युद्ध से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

इनका मैदानी परीक्षण हाल ही में अहिल्यानगर के मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री सेंटर एंड स्कूल (MICS) रेंज में किया गया। हाई-परफॉर्मेंस मॉड्यूलर बंकरों ने पारंपरिक शेल्टरों की तुलना में सिर्फ चौथाई मोटाई में ही उतनी या उससे बेहतर सुरक्षा प्रदान की।

क्या बोले शोधकर्ता

ट्रायल में शामिल सीएमई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मॉड्यूलर PDs ने सुरक्षा के लिए आवश्यक मोटाई को पारंपरिक शेल्टरों की तुलना में नाटकीय रूप से कम कर दिया है, साथ ही हमले से होने वाले टुकड़ों (spalling and fragmentation) से बचाव में भी काफी सुधार किया है।’ उन्होंने बताया, कि इन मॉड्यूलर यूनिट्स का गोला-बारूद, तोपखाने के हमलों और यहां तक कि उच्च-विस्फोटक हवाई धमाकों के खिलाफ कठोर परीक्षण किया गया है। नतीजा यह रहा कि ब्लॉक्स ने बार-बार हुए मिसाइल हमलों को आसानी से झेल लिया।

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